Santula Devi Temple

उत्तराखंड राज्‍य को देवताओं की भूमि ऐसे ही नहीं कहते। ऐसे ही नहीं कहा जाता कि यहां पर देवता आकर स्नान करते हैं। यहां विचरण करते हैं। चलिए, राज्य के ऐतिहासिक मंदिरों के रोचक रहस्यों की कड़ी में इस बार हम आपको बता रहे हैं कि ऐसे मंदिर के बारे में, जहां देवताओं ने आकर मुराद मांगी और उन्हें उसका मुराद का फल भी मिला। बात हो रही है उत्तराखंड के टिहरी जनपद में स्थित जौनुपर के सुरकुट पर्वत पर स्थित सुरकंडा देवा का मंदिर। यह स्‍थान समुद्रतल से करीब तीन हजार मीटर ऊंचाई पर है। आगे जानिए, इस मंदिर की स्‍थापना की रोचक कहानी। टीवी धाराविकों और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब हिमालय के राजा दक्ष ने कनखल में यज्ञ का आयोजन किया, तो अपने दामाद भगवान शिव को निमंत्रण नहीं भेजा। ऐसे में दक्ष की बेटी और भगवान शिव की पत्नी देवी सती नाराज हो गई। अपने पति के अपमान के आहत माता सती ने राजा दक्ष के यज्ञ में आहूति दे दी। इससे भगवान शिव उग्र हो गए। उन्होंने माता सती का शव त्रिशूल में टांगकर आकाश भ्रमण किया। इस दौरान नौ स्‍थानों पर देवी सती के अंग धरती पर पड़े। वे स्‍थान शक्तिपीठ कहलाए।

Sightseeing -Santula Devi Temple

इसी में देवी सती का सिर जहां गिरा। वह स्‍थान माता सुरकंडा देवी कहलाया। पौराणिक मान्यता है कि देवताओं को हराकर राक्षसों ने स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था। ऐसे में देवताओं ने माता सुरकंडा देवी के मंदिर में जाकर प्रार्थना की कि उन्हें उनका राज्य मिल जाए। उनकी मनोकामना पूरी हुई और देवताओं ने राक्षसों को युद्घ में हराकर स्वर्ग पर अपना आधिपत्य स्‍थापित किया।
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